बालूशाही (Balushahi), जिसे कभी-कभी “बादशाही” या “बालुशाही” भी कहा जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप की एक पारंपरिक मिठाई है। यह अपने कुरकुरे बाहरी परत और नरम, घनी मलाईदार अंदरूनी हिस्से के लिए प्रसिद्ध है। इसकी खासियत है कि यह देखने में गोलाकार और छल्लेदार आकार की होती है, जिसे घी या तेल में तला जाता है और चाशनी में डुबोकर बनाया जाता है। उत्तर भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल में यह विशेष अवसरों जैसे त्योहारों, शादियों, या धार्मिक अनुष्ठानों में परोसी जाती है।

इतिहास और उत्पत्ति
बालूशाही (Balushahi) का इतिहास मुग़ल काल से जुड़ा हुआ माना जाता है। कहा जाता है कि इसका नाम “बादशाह” (शासक) से लिया गया है, क्योंकि यह मिठाई अपने स्वाद और बनावट में राजसी ठाठ को दर्शाती है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि यह फ़ारसी मिठाइयों से प्रेरित है, जिन्हें मुग़ल शासकों ने भारत में लाया। दक्षिण भारत में इसे “बदुशा” कहा जाता है, जो तमिलनाडु और केरल में विशेष रूप से लोकप्रिय है।
बालूशाही (Balushahi) बनाने की विधि
सामग्री (4 लोगों के लिए):
- मैदा (ऑल-पर्पस आटा) – 2 कप
- घी (शुद्ध देसी) – 1/4 कप
- ठंडा पानी – 1/4 कप (लगभग)
- बेकिंग सोडा – 1/4 चम्मच
- चीनी – 1.5 कप (चाशनी के लिए)
- तेल या घी (तलने के लिए)
- इलायची पाउडर – 1/2 चम्मच
विधि:
आटा गूंथना: एक कटोरे में मैदा, बेकिंग सोडा, और 1 चम्मच घी मिलाएँ। अच्छी तरह मसलें ताकि घी आटे में समा जाए। फिर ठंडा पानी धीरे-धीरे डालकर कड़ा आटा गूंथें। आटा नरम नहीं होना चाहिए।

आराम दें: आटे को 20-25 मिनट के लिए ढककर रख दें।
चाशनी तैयार करें: एक पैन में चीनी और 1 कप पानी डालकर उबालें। गाढ़ी चाशनी बनने तक पकाएँ (एक तार की चाशनी)। इलायची पाउडर मिलाएँ।

बालूशाही (Balushahi) आकार दें: आटे को छोटे गोलाकार पेड़े बनाएँ और बीच में अंगूठे से दबाकर छल्ला बनाएँ।

तलना: कड़ाही में घी गर्म करें। आंच मध्यम रखें और बालूशाही को सुनहरा होने तक तलें।

चाशनी में डुबोएँ: तली हुई बालूशाही को चाशनी में 5-10 मिनट के लिए डुबो कर निकालें।

बालूशाही (Balushahi) के प्रकार
- दक्षिण भारतीय बदुशा: इसमें मैदा के साथ थोड़ा सूजी मिलाई जाती है, और चाशनी गुलाब जल या केसर से सुगंधित होती है।
- शाही बालूशाही: इसे दूध मलाई और केसर के साथ गार्निश किया जाता है।
- जैन बालूशाही: प्याज़ या लहसुन रहित, जैन धर्म के नियमों के अनुसार।
बनाने के टिप्स और गलतियाँ
- आटा अधिक न गूंथें, नहीं तो बालूशाही सख्त हो जाएगी।
- तलते समय आंच धीमी रखें, ताकि अंदर तक पक जाए।
- चाशनी पतली न हो, वरना मिठाई गीली हो जाएगी।
सांस्कृतिक महत्व
बालूशाही (Balushahi) भारतीय संस्कृति में खुशी और उत्सव का प्रतीक है। यह दिवाली, होली, और ईद जैसे त्योहारों में बनाई जाती है। बिहार और उत्तर प्रदेश में इसे “दान” के रूप में भी वितरित किया जाता है।
निष्कर्ष
बालूशाही न सिर्फ़ एक मिठाई है, बल्कि भारतीय पाक परंपरा की जीवंत धरोहर है। इसका स्वाद और बनावट हर उम्र के लोगों को लुभाती है।
इस दिवाली घर पर बनाएं मुलायम और रसभरी बालूशाही