कचौरी (Kachori)

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कचौरी (Kachori) भारतीय व्यंजनों का एक अहम हिस्सा है, जो अपनी खस्ता बाहरी परत और मसालेदार भरावन के लिए प्रसिद्ध है। यह नाश्ता न केवल सुबह की चाय के साथ बल्कि त्योहारों, उत्सवों और यहाँ तक कि शादी-ब्याह में भी खाया जाता है। इसकी उत्पत्ति राजस्थान और उत्तर भारत से मानी जाती है, जहाँ यह सूखे मेवों और दालों के साथ बनाई जाती थी। मुगलकाल में इसे और भी परिष्कृत किया गया, जिससे आज के विविध रूप सामने आए।

 कचौरी (Kachori) बनाने की विस्तृत विधि

सामग्री (4 व्यक्तियों के लिए):

  • आटा: 2 कप (250 ग्राम)
  • मूंग दाल: 1 कप (भिगोई हुई)
  • हींग, जीरा, लाल मिर्च पाउडर
  • तेल: तलने के लिए

बनाने की विधि:

  1. आटा गूँथना:
    • आटे में नमक और 2 चम्मच तेल मिलाएँ।
    • धीरे-धीरे पानी डालकर कड़ा आटा गूँथें।
  1. भरावन तैयार करना:
    • मूंग दाल को पीसकर पेस्ट बनाएँ।
    • तेल में हींग, जीरा भूनें, फिर दाल पेस्ट और मसाले डालकर सूखा भरावन बनाएँ।
  1. कचौरी (Kachori) को आकार देना:
    • आटे की छोटी लोइयाँ बेलें।
    • भरावन डालकर बंद करें और गोल आकार दें।
  1. तलना:
    • मध्यम आँच पर तेज गरम तेल में सुनहरी होने तक तलें।

कचौरी बनाने के टिप्स और सामान्य गलतियाँ

  • आटा हमेशा कड़ा गूँथें, नहीं तो कचौरी फट सकती है।
  • भरावन को ठंडा होने दें, वरना आटा गीला हो जाएगा।
  • तेल का तापमान मध्यम रखें ताकि कचौरी अंदर से पक जाए।

सांस्कृतिक महत्व और आधुनिक रूपांतर

कचौरी भारतीय संस्कृति में केवल भोजन नहीं, बल्कि समाज का प्रतिबिंब है। राजस्थान में इसे “शादी की कचौरी” (Kachori) कहा जाता है, जहाँ यह मेहमानों के स्वागत का प्रतीक है। आज, लोग हेल्थ कॉन्शियस वर्जन जैसे एयर फ्रायर या बेक्ड कचौरी भी बना रहे हैं।

कचौरी के प्रकार

भारत के विभिन्न क्षेत्रों में कचौरी के अद्वितीय रूप मिलते हैं:

  1. राजस्थानी कचौरी
    • मूंग दाल या प्याज के मसाले से भरी हुई।
    • खस्ता और तेल में तली हुई।
    • जयपुर और जोधपुर में प्रसिद्ध।
  2. उत्तर प्रदेश की कचौरी
    • मटर या आलू के भरावन के साथ।
    • अक्सर सब्जी या दही के साथ परोसी जाती है।
  3. गुजराती कचौरी
    • मीठे और नमकीन स्वाद का मिश्रण।
    • चटनी या फ़्रूट सालाद के साथ।
  4. भिंडी कचौरी (मध्य प्रदेश)
    • भिंडी के सूखे मसाले से बनी।सत्तू की खस्ता और फूली-फूली कचौरिया बनाएं

निष्कर्ष

कचौरी ने अपने सादगी और स्वाद के कारण भारतीय रसोई में विशेष स्थान बनाया है। चाहे वह सड़क किनारे ठेला हो या पाँच-सितारा होटल, यह व्यंजन सभी को पसंद आता है।

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